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ले लो मैया, ले लो भैया

Tuesday, December 25, 2012

सब पर भारी....अटल बिहारी

सबसे पहेले तो "अटल जी " को जन्म पर्व की हार्दिक शुभकामनाये और उनके अच्छे स्वस्थ के लिए प्रभु से प्रार्थना  :- 
जिस तरह रास्ट्र गान, रास्ट्र धवज और रास्ट्र चिहन किसी देश की पहचान  करते हे वेसे ही कुछ 'चहरे' अपने रास्ट्र के 'पर्याय' और 'पहचान' बन जाते हे ! जेसे 'अब्राहिम लिंकन' से अमेरिका , सद्दाम हुसेन  से इराक , उल्फिकार अली भुट्टो  से पाकिस्तान और महात्मा गाँधी , लाल बहादुर सास्त्री या फिर अटल बिहारी वाजपेयी से "भारत"

उनकी खास बाते :-)
1.अपने युवा दिनों में उन्होंने खूब अधययन किया और बाद में भी वो  पढना नहीं भूले !!

2.उनमे किसी विषय पर 'घंटो' बोले और खुलकर बोलने की क्षमता  रही हे ! उन्हें पढ़कर बोलने की जरुरत नहीं पड़ती , वह जब भाषण  करते तो उनके विरोधी भी चुप होकर उनका भाषण सुनते थे !!

3.आज के युग में जंहा नेता ''हिंदी" की बाते बहुत करते हे ...परन्तु हिंदी में कोई बात नहीं करता .... वंही "अटल जी" ने "24  सिप्तम्बर 1994 " को संयुक्त रास्ट्र की 55  वि महासभा में ''हिंदी'' में भाषण दिया था
4.
उहोने 11 मई  13 मई 1998  को 'पोकरण' में परमाणु परीक्षण कर पुरे विश्व को भारत की सेनिक सकती का लोहा मनवाया !
5.
कलाम जी को ''रास्ट्र पति'' बनाने का ऐतिहासिक निर्णय भारतीय राजनीती में धर्म निरपेक्षता की दिशा में एक अनूठा उदहारण  हे !!

उनकी ''कविताये" बहेद ही लोकप्रिय और "गूढ़ अर्थ" वाली हे !!

उनकी कवितावों कुछ अंश :-
1.छोटे मन से कोई बड़ा नही होता, टूटे मन से कोई खड़ा नही होता !
2.जो जितना ऊँचा,उतना एकाकी होता है,हर भार को स्वयं ढोता है,
3.धरती को बोनो की नहीं ऊँचे कद के इंसानों की जरुरत हे !
4.हे प्रभु !मुझे इतनी ऊँचाई कभी मत देना
  गेरों को गले लगा सकूँ ,इतनी रुखाई कभी मत देना !
5.गूंज उठे ऊँचे स्वर में , "हिन्दू की जय" तो क्या विस्मय ?
   हिन्दू तन मन ,हिन्दू जीवन ,रग-रग हिन्दू मेरा परिचय !
ले लो मैया, ले लो भैया